प्रश्न यदि यहाँ से आरम्भ हो की मनुष्य पुस्तकें पढता ही क्यों है तब अनायास ही वर्षों बीत जायेंगे एवं हम इस प्रश्न में ही उलझे रह जायेंगे! इसीलिए, बुद्धिमानी इसी में है की हम आज की कथा-वस्तु, यानि की मूल विषय पर आएं – एक उत्कृष्ट, लाभकारी, उपयोगी (पाठकों एवं लेखकों के दृष्टिकोण से) और आनंददायक पुस्तक समीक्षा कैसे लिखें। मैंने इस लेख में यही करने का प्रयास किया है। अनेक वर्षों बाद पुनः हिंदी समीक्षा के वेब पेज को एक बार पुनर्जीवित करने की लालसा हुई और सोचा की इसी लेख से प्रयास करते हैं! चलिए, एक और बार हिंदी के असीम संसार में अपने अस्तित्व, व्यक्तित्व, साहित्य और लोक-समाज से जुड़े प्रश्नों के उतर ढूंढने की चेष्टा की जाये। हिंदी में अपने सिमित ज्ञान को थोड़ा और बढ़ाने का भी उचित अवसर कहीं न कहीं इसी प्रयास की छाया में मुझे प्राप्त होगा, अंतर्मन में ये विचार भी प्रदीप्त है। ज्ञान की देवी सरस्वती को प्रणाम करके कार्यारम्भ करें!
यह लेख एक उत्कृष्ट पुस्तक समीक्षा कैसे लिखें और उसमे किन-किन बातों का समावेश हो इस दिशा में एक अन्वेषण की तरह लिखा गया है। हम ये जानने का प्रयास करेंगे की कैसे एक समीक्षा में हम किसी पुस्तक के लेखक, कथा, भाषा, संरचना और साहित्यिक मूल्य को विस्तार से विश्लेषण करके लेखक और पाठकों को एक उचित सहयोग दे सकते हैं । हम अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए पुस्तक के लाभ और पाठकों के लिए क्या सीख है, इसे भी समाविष्ट करेंगे।
पुस्तक के लेखक:
यदि पुस्तक का लेखक एक प्रसिद्ध और अनुभवी साहित्यकार है, तब निश्चित ही उनके बारे में पुस्तक समीक्षा के परिचय में थोड़ी जानकारी होनी चाहिए। उनके लेखनी-सौंदर्य का परिचय भी दिया जा सकता है ताकि पाठक उनके लेखनी स्टाइल के प्रति अधिक समझदार हों। इसके अलावा, उनके शैली के विशेषताओं को भी समीक्षा में सम्मिलित करें ताकि पाठक उन्हें भलीभांति समझ सकें। यदि लेखक नया भी है फिर भी उसके बारे में हमें जानकारी देनी ही चाहिए ताकि लेखक से पाठकों का परिचय हो जाये!
कथा:
पुस्तक की कथा को विस्तार से वर्णन करके, प्रमुख पात्रों के साथ उनकी विकास और परिवर्तन की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास करें। उन्हें पाठक को रुचिस्पद बनाने वाले महत्वपूर्ण संघर्ष और संवाद का भी जिक्र करें। उदाहरणों के साथ प्रमुख परिदृश्यों और घटनाओं का उद्धरण देकर उन्हें रंगीन बनाएं।
भाषा:
लेखक के भाषा और व्याकरण की प्रशंसा करें, जैसे कि उन्होंने विविध शब्दों, संयोजन, और छंदों का उपयोग किया है। उनकी भाषा में संवेगशीलता, सरलता और सुविधा के अविरलता का परिचय भी दें। यदि लेखक ने भाषा के प्रयोग में अनेकों अशुद्धियाँ की हैं तो लेखक की आलोचना भी होनी चाहिए। भाषा किसी भी साहित्यिक सृजन की आत्मा है, इस तथ्य का ध्यान रखें!
संरचना:
पुस्तक के संरचना को विवरणी से वर्णन करें। उसमें अध्यायों की स्थानिक प्रबंधन, कथा की बढ़ती कठिनाइयों के साथ उसके संबंध में अंतर्निहित अर्थ और संवादों का महत्वपूर्ण संघर्ष शामिल हो सकते हैं।
साहित्यिक मूल्य:
पुस्तक के साहित्यिक मूल्य को विशेष रूप से जाँचें। किसी भी ऐतिहासिक संदर्भ, सामाजिक या सांस्कृतिक मूल्य और समकालीन अर्थव्यवस्था के साथ उसकी तुलना करें। इस पुस्तक के माध्यम से क्या संदेश प्रस्तुत किया गया है, और पाठक को इससे क्या सिख मिलती है, इसे भी विचारना चाहिए।
लाभ और सिख:
पुस्तक के पाठकों के लिए क्या लाभ है, इसे भी विस्तार से प्रस्तुत करें। यह पुस्तक किसी भी विशेष गतिविधि, समस्या, या सोच को समझने और समाधान करने में मदद करती है तो इसे उदाहरण के साथ समझाएं। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक को किसी नए दृष्टिकोण या नई सोच का सामर्थ्य भी हो सकता है, इसे भी दर्शाएं।
समापन:
इस पुस्तक समीक्षा के अंत में, एक संक्षेपित सारांश दें जो पाठकों को इस पुस्तक की महत्वपूर्ण विशेषताओं और संदेश का सार दे सकता है। पुस्तक के लेखक के साथ उनके लेखनी सौंदर्य का भी नकारात्मक और सकारात्मक विचार करें। समापन में, अपने सुझावों को प्रस्तुत करें और पाठकों को पुस्तक के अनुभव के बारे में भविष्य में अधिक ज्ञात होने की प्रेरणा दें।
इस प्रकार से, एक विस्तृत और समर्थक पुस्तक समीक्षा पाठकों को अच्छी पुस्तक के बारे में संपूर्ण ज्ञान और समझ प्रदान करेगी, जिससे उन्हें पुस्तक का अधिक मजा आएगा और उन्हें इससे आवश्यक ज्ञान और सिख प्राप्त होगी।
आशीष
हिंदी समीक्षा के लिए