यदि साफ शब्दों में कहूं तो मुझे अब आधुनिक हिंदी उपन्यास पढ़ने की इच्छा नहीं होती है। जिस प्रकर के साहित्य को अपने इर्द -गिर्द देखता हूँ, शायद घोर निराशा होती है की क्या हो गया है आज-कल के लेखकों को। अगर गौर से देखें तो एक पतन सा हो गया है आधुनिक हिंदी उपन्यास का, खासकर उनमे हो रहे भाषा का प्रयोग तो मेरे पल्ले ही नहीं पड़ता है। अब आता हूँ आज के प्रयोजन पे – अभी हाल में ही एक पुस्तक पढ़ने को मिला जिसके लेखक रवि डबराल हैं जो हैं तो मुख्यतः उत्तराखंड से लेकिन निवास करते हैं सिंगापुर में। मैने जब सुना तो बहुत आश्चर्य में पड़ गया कि इन्होंने हिंदी में कैसे लिख दी बाद में पता चला ये इंग्लिश में रचित किताब का हिंदी रूपांतरण है लेकिन लेखक ने स्वयं किया है तो पढ़ने की जिज्ञाषा हुई, और सोचा जब पढ़ ही लिया है तो अपने विचार आपलोगो से साझा कर दूं।
कहानी का एक परिदृश्य:
इस उपन्यास का नाम लालच, वासना और लत है। इस कहानी में मुख्यतः तीन पात्र हैं सूरज, विजय और सीमा और एक छोटा लेकिन प्रमुख किरदार है आनंद का जो संपादक है एक समाचार चैनल का। और कहानी भी लगभग इन किरदारों के बीच ही घूमती है। सूरज और विजय दोनों भाई हैं, लेकिन दोनों की सोच काफी अलग है। सूरज एक खोजी पत्रकार है और सीमा भी उसके साथ काम करती है लेकिन सीमा विजय की गर्लफ्रेंड है। विजय शुरू में तो एक किस्मत के हाथों त्रस्त इंसान लगता है जो अपने पद को हासिल करने के लिए घुस देता है और फिर पुलिस विभाग में उसे काम मिलता है। वहीँ दूसरी ओर सूरज एक अच्छा इंसान है जो मेहनती है और जिंदगी के उसूलों को नजदीक से जानने की कोशिश करता है और हर एक चीज में अच्छे को तलशता है। लेकिन वो इन घूसखोरो और बेगैरत दुनिया में उलझा हुआ है। वो खुद को इस दुनिया से निकालना चाहता है और आधायात्म का मार्ग पकड़ लेता है। वो दूर हिमालय के गुफाओं में चला जाता है और इधर विजय भी अभी अच्छे मार्ग पे आने लगता है और सभी बेईमानो के खिलाफ कुछ करने की सोचता है। यों तो कहानी इतनी सी है जो हमें आमतौर पे किसी साधारण उपन्यास में देखने को मिल जाती है। लेकिन इसमें कुछ गहराई भी है जो हमे इसके गहन अध्ययन से मालूम होती है।
कहानी से हट के विचार:
मैं तो इस कहानी के सैकड़ों पहलुओं को पाठकों के सामने लाता रहूं! पर, न मेरे पास इतने शब्द होंगे और न ही पाठकों के पास इतना वक्त। लेकिन, एक बात तो अवश्य है की रवि डबराल ने कहानी में जो गहराई रखी है वो पाठकों में कहानी के प्रति रूचि जगाये रखती है। यह कहानी प्रस्तुत करती है भौतिकवाद और अधाय्तम के टकराव और साथ चलने की विवशता को। एक सुझाव सा प्रदान करती है अपने पाठको को की इन दोनों राह में से कौन सही है या फिर कहीं न कहीं दोनों ही जरुरी है। कहीं न कहीं भौतिकवादी होना आधुनिक दुनिया का कट्टु सच है! यह जो भले ही सुनने में कर्णकटु लगे परन्तु सचाई हमारे मानने या न मानने से छुप तो नहीं सकती है! और दूसरी ओर आध्यात्म कहीं न कहीं हमारे जीवन से दूर चला जा रहा है। लेखक ने अपने विचारो को साझा करते हुए ये स्पष्ट करने की कोशिश की है कि आधुनक समस्याओं का हल अध्यात्म में ही मौजूद है। भले ही हमे सांसारिक सुख का अनुभव भौतिकबाद प्रदान करती हो लेकिन आंतरिक सुख और आत्मा की तृप्ति के लिए अध्यात्म का सहारा लेने में ही सुकून है अन्यथा कहीं नहीं!
अंत में:
सच कहूं तो कहानी बहुत ही अच्छी और रोचक है! इस उपन्यास में हमें जो यदा-कदा देखने को मिल जाता है आज के साहित्य में वो भी देखने को नहीं मिलता है! भाषा शैली भी अच्छी है किसी भी प्रकार से ओछे शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है। अंत में यही कहूंगा की आप अगर अपने आप को अच्छे से जानना चाहते है और समाज के उन पहलुओं को भी जो आपको प्रभावित करती है तो ये पुस्तक अवश्य ही पढ़े।
पुस्तक यहाँ से खरीदें – अमेज़न पर जाएँ!
मनीष द्वारा हिंदी समीक्षा के लिए
लालच वासना लत
3.6
Summary
लालच वासना लत में रवि डबराल जी ने हिंदी उपन्यास को एक नए आयाम पर पहुँचाया है! हिंदी समीक्षा के समीक्षक ये मानते हैं की यह उपन्यास सभी तरह के पाठक पसंद करेंगे। खास करके मध्य आयुवर्ग के वैसे पाठक जिन्होंने अपने जीवन का एक हिस्सा जिया है, उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।
5 Comments. Leave new
I really enjoyed reading the book. I have the English version of the book. I am surely looking forward to reading the Hindi version of the book as well.
What an interesting book this is. The storyline seems pretty well and balanced. I am just going to purchase the novel. And many thanks for your informative review.
मै हिंदी उपन्यास में अक्सर रूचि लेता हूँ। इसे पढ़कर तो ये मालूम होता है की पुस्तक सच में बहुत अच्छी है। ये किताब उन आयामों के बारे में विस्तार से जानकरी देती है जिन का जिक्र आधुनिक उपन्यासों में दिखाई नहीं देती है। मै इस किताब को आज ही लेके पढूंगा।
It looks like such a nice book in the Hindi language. Pretty good review that discusses all the aspects of the book. The novel by Ravi Dabral is in pursuit of something different rather than gaining cheap popularity by writing cheap romance.
Absolutely fantastic your work and the work of the author. The author has carried forward the spiritual path in a contemporary way. Moreover, the language Hindi will provide an accessibility to a wide range of readers to gain some information from the book.